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भावांतर भरपाई योजना को लेकर हरियाणा में किसानों का प्रदर्शन जारी है

भावांतर भरपाई योजना को लेकर हरियाणा में किसानों का प्रदर्शन जारी है

हरियाणा में भावांतर भरपाई योजना को लेकर किसानों का आंदोलन दूसरे दिन भी अड़िग है। चलिए इस लेख में जानें भावांतर भरपाई योजना के बारे में, जिसको लेकर हरियाणा के किसान सड़कों पर उतरे हैं। हरियाणा राज्य में भावांतर भरपाई योजना को लेकर किसान दूसरे दिन भी सड़कों पर बैठे हुए हैं। बतादें, कि किसान निरंतर सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना से बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं। इस प्रदर्शन के चलते मंगलवार देर रात्रि भारतीय क‍िसान यून‍ियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम स‍िंह चढूनी व उनके बहुत से साथियों को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया था। जिसके पश्चात किसान और ज्यादा भड़क उठे हैं। इसी मध्य खबर है, कि किसान नेता राकेश टिकैत भी इस आंदोलन में शम्मिलित होने वाले हैं।

भावांतर भरपाई योजना क्या है

सरकार ने किसानों को भारी नुकसान से संरक्षण देने के लिए भावांतर भरपाई योजना जारी की थी। 30 सितंबर, 2017 को यह योजना विशेषकर उन कृषकों के लिए चालू हुई थी। जो बागवानी एवं
मसाला फसलों की खेती किया करते हैं। इसका उद्देश्य किसानों को उत्पादन की समुचित कीमत दिलाना था। इस योजना में मसाला की दो फसलों और बागवानी की 19 फसलों को शम्मिलित किया गया था। सरकार की ओर से योजना में शम्मिलित सभी फसलों का भाव निर्धारित किया गया था। यदि उससे कम भाव में फसल बिकती थी तो सरकार धनराशि मुहैय्या कराकर नुकसान की भरपाई करती थी। हरियाणा में बहुत सारे किसानों ने इस योजना का फायदा लिया।

किसानों में आक्रोश की शुरुआत यहां से हुई

जब इस योजना में एमएसपी वाली फसलों को शम्मिलित किया गया तो किसानों ने आपत्ति व्यक्त करनी चालू कर दी। बतादें, कि इसके दायरे में बाजरा को लाया गया, ज‍िससे उत्पादकों को भारी घाटा वहन करना पड़ा है। दरअसल, सरकार की ओर से बाजरा का एमएसपी 2250 रुपये प्रति क्विंटल तैयार किया गया था। किसानों को बाजार में 1100 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बाजरा की कीमत मिल पाए। अब सरकार को भावांतर योजना के अंतर्गत बाजार की कीमत और एमएसपी के मध्य आ रहे अंतराल की भरपाई करना था।

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बाजरा उत्पादक कृषकों को हुई हानि

यदि बाजार में भाव 1200 रुपये प्रति क्विंटल के अनुरूप प्राप्त हो, तो सरकार को अब 1050 रुपये की भरपाई करनी थी। लेकिन सरकार ने मात्र 600 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से ही भरपाई की। ऐसे में किसानों को प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजरा का भाव सब मिलाकर 1800 रुपये ही मिल पाया। जो एमएसपी से बेहद कम था। किसान भाइयों को इससे घाटा भी सहना पड़ा।

आंदोलन की शुरुआत किस वजह से हुई

इसके चलते सरकार ने सूरजमुखी को भी भावांतर भरपाई योजना में शम्मिलित कर दिया है। अब ऐसे में जिन किसानों ने बाजरा के मामले में घाटा वहन किया था। वे किसान सड़कों पर उतर आए। सूरजमुखी को इस योजना से अलग करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया। भारतीय क‍िसान यून‍ियन (चढूनी) का कहना है, कि उन्हें भावांतर नहीं बल्कि एमएसपी चाह‍िए। उन्होंने यह भी कहा है, कि सरकार सूरजमुखी को एमएसपी पर नहीं खरीदना चाहती। केवल व्यापारियों को ही फायदा दिलाना चाहती है। इसी वजह से सरकार ने सूरजमुखी को इस योजना में शम्मिलित किया है।

सूरजमुखी उत्पादक किसानों को किस प्रकार होगा घाटा

बतादें, कि हरियाणा में सूरजमुखी की एमएसपी 6400 रुपये प्रति क्विंटल है। वहीं बाजार में किसानों को इसका भाव 4000 रुपये प्रति क्विंटल के करीब प्राप्त होता है। किसान भाइयों का यह मानना है, कि ऐसी स्थिति में सरकार यदि भावांतर योजना के अंतर्गत अधिक से अधिक 1000 रुपये भी देगी तब भी एमएसपी के अनुरूप उन्हें बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा। इसी मुद्दे को लेकर सरकार एवं किसानों के मध्य टकराव जारी है। अब देखना यह है, कि सरकार का इसको लेकर क्या प्रतिक्रिया सामने आती है।
सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में 75 फीसद अनुदान

सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में 75 फीसद अनुदान

बिहार में सब्जियों की पैदावार को ज्यादा करने एवं किसानों की सहायता करने के मकसद से राज्य सरकार सब्जी विकास योजना चला रही है। इस योजना के तहत सरकार बीजों की खरीद पर 75 फीसद का अनुदान प्रदान कर रही है। बिहार में कृषकों ने सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए रबी फसलों के साथ ही सब्जी की बिजाई चालू कर दी है। सरकार भी उनका सहयोग कर रही है, जिससे कि पैदावार क्षमता के साथ किसानों की आमदनी बढ़ सके। इसके साथ-साथ सरकार सब्जी पैदावार के क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए अनुदान प्रदान कर रही है। 

साथ ही, जयादा से ज्यादा संख्या में कृषकों को सब्जी विकास योजना के अंतर्गत बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने की योजना तैयार कर रही है। बिहार सरकार ने सब्जी विकास योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत विभिन्न सब्जियों की खेती के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा। इस योजना के तहत कृषकों को उच्च मूल्य वाली सब्जियों के बीजों के वितरण के लिए अनुदान मिलेगा। सरकार सब्जियों में बिना बीज के खीरा, बैंगन एवं बाकी सब्जियों की खेती पर भी अनुदान प्रदान कर रही है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया भी चालू हो चुकी है। इच्छुक किसानों को आवेदन करने का अवसर मिला है, जिससे कि वे इस योजना का फायदा उठा सकें।

सरकार बीजों पर 75 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार की तरफ से सब्जियों की उन्नत प्रजाति के बीजों पर कृषकों को धनराशि देने का निर्णय किया गया है, जिसमें 75 फीसद अनुदान करके उच्च मूल्य वाले खीरे एवं बैंगन की इकाई लागत शम्मिलित है। सब्जी विकास योजना के तहत किसानों को एक उप-अवयव में निर्धारित सीमा तक धनराशि प्रदान की जाएगी। सब्जी के 1,000 से 10,000 तक के खरीद पर धनराशि प्रदान की जाएगी। किसानों को 0.25 एकड़ से 2.5 एकड़ तक की सब्जी खेती के बीज पर भी धनराशि प्रदान की जाएगी।

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आवेदन ऑनलाइन माध्यम से करना पड़ेगा

उद्यान पदाधिकारी सूरज पांडेय का कहना है, कि सब्जी विकास योजना का फायदा लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया अब चालू कर दी गई है। उन्होंने बताया है, कि जिन कृषकों के पास जो योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो उनके समीप पूर्व से ही 13 अंकों के डीबीटी संख्या होनी जरूरी है। बतादें, कि जिन कृषकों के पास यह तादात नहीं हो, वे आधिकारिक वेबसाइट dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीकरण करके इस संख्या की प्राप्ति कर सकते हैं। पंजीकरण संख्या हांसिल होने के पश्चात, किसान horticulture.bihar.gov.in वेबसाइट के लिंक पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।